Sunday 17 September 2017

कॉमिक्स यादें (श्री रवि यादव) #mycomicsstory


बात शायद 1994 की है, एक बच्चा स्कूल जाता और रास्ते में पड़ने वाली बुक शॉप पर टकटकी लगाकार एक धागे पर टंगी कॉमिक्स को देखता . कॉमिक्स के कवर पर पीली-नीली पोशाक पहने एक लड़का रेल के इंजन से बंधा हुआ था और उसके पास में एक रोबोट की शक्ल वाला व्यक्ति खड़ा था. पता नहीं उस तस्वीर में क्या जादू था कि उस बच्चे का यह नियम बन गया की रोज स्कूल जाते समय उस कॉमिक्स को टकटकी लगाकर ललचाई नजरो से देखना. बच्चा तब तक भोकाल और नागराज की कई कॉमिक्स पढ़ चुका था या यूँ कहिए उनके चित्रों का आनंद ले चुका था पर जब से उसने इस कॉमिक्स को देखा तो बाकी सब कुछ भूलकर उसने इसे पाने की ठानी. कॉमिक्स उसे अपनी बड़ी दीदी और भैया से मिलती थी और वे भोकाल की कॉमिक्स पढ़ना ज्यादा पसंद करते थे. दोनों से बड़े प्यार से गुजारिश की पर उन दोनों के मना करने पर बच्चे का दिल बहुत दुखी हुआ. अगले कई दिनों तक यही क्रम चला पर बच्चे के छोटे हाथों से अब भी वह कॉमिक्स बहुत दूर थी.
बच्चे ने एक तरकीब निकाली उस कॉमिक्स को और पास से देखने के लिए वह अब पचास पैसे की टाफी लेता और उस कॉमिक्स को निहारता. एक दिन दुकानदार अंकल ने पूछा बेटा तुम रोज इन रंग बिरंगे चित्रों वाली किताबों को देखते हो इनमे से तुम्हे क्या चाहिए? अंकल इन रंग बिरंगे चित्रों वाली किताब को कॉमिक्स कहते हैं बच्चे ने बड़ी मासूमियत से जबाव दिया .दुकानदार अंकल ने हंसकर पूछा और तुम्हे इनमे से कोनसी चाहिए? .बच्चे ने धडकते दिल से ऊँगली से इशारा किया वो. दूकानदार अंकल ने वो कॉमिक्स धागे पर से उतारकर उस बच्चे के हाथों मे थमा दी बस फिर क्या था मानो बच्चे को सारा जहाँ मिल गया. बार-बार कॉमिक्स उलट-पुलट कर देखते उस बच्चे को दुकानदार अंकल ने कहा कि बेटा तुम्हारे भैया भी मुझसे कॉमिक्स ले जाते हैं और उन्होंने कॉमिक्स एक रुपया किराये पर देने की बात कही पर बच्चे ने कॉमिक्स वापस अंकल को दी और कहा की अंकल जी आप किसी को ये देना मत मैं जल्दी ही इसे खरीद लूँगा. घर में बार-बार जिद करने पर भी जब 15 रूपये जमा नहीं हुए तो बच्चे का मन बहुत उदास हो गया बरहाल एक रूपये में वो कॉमिक्स किराये पर ली गई, स्कूल बैग में रखकर जब आधी छुटटी में उसे आधा –अधुरा पढ़ा तो नीली-पीली ड्रेस वाला वो हीरो जिसका की नाम सुपर कमांडो ध्रुव था बच्चे के दिल और दिमाग पर छा गया ये जूनून से उस बच्चे का पहला परिचय था.घर आकर जब बच्चे ने कॉमिक्स को पूरा पढ़ा तो बच्चे के दिल ने कहा कहा कि जब पुरे 15 रूपये हो जाएंगे तो सबसे पहले ये कॉमिक्स ही लूँगा अगले कुछ दिनों तक बच्चा “रोबो मैग्नाटो! मुझे अपनी शक्ति दो” चिल्लाता घूमा (हालाँकि कॉमिक्स में ये डाइलाग कही पर भी नहीं था)....

बच्चे का ये जूनून रंग लाया 19 साल बाद जब RC के नागराज जन्मोत्सव कार्यक्रम में स्टेज पर एंकर श्री क्षितिज शर्मा ने SCD से रिलेटेड क्विज कांटेस्ट मे प्रश्न पूछे तो बच्चे (जो की अब 29 साल का हो चुका था ) ने कुछ प्रश्नों के उत्तर पूरा प्रश्न सुने बिना ही दे दिए. मंच के ठीक सामने विरजमान भारतीय कॉमिक्स जगत के सभी महानुभावो और सभी कॉमिक्स प्रेमियों ने तालियों की करतल ध्वनि की लेकिन बच्चे को शायद ध्रुव की बाइक की तरह एक स्पेशल आवाज़ की गूंज का वर्षो से इंतज़ार था वो थी ..”क्या बात है” 
आवाज को सुनकर बच्चे को लगा की आज फिर उसके हाथ में उस नीली-पीली ड्रेस वाले, उसके अपने सपनो के हीरो की कॉमिक है जिसे वो पहली बार छू रहा है .ये आवाज थी उस शख्सियत की जिसने ध्रुव को रचा है “श्री अनुपम सिन्हा जी”.

वो बच्चा (यानी की मैं) आज 31 साल का हो गया है और उसके पास ये कॉमिक्स जिसका की नाम “चुम्बा का चक्रव्यूह” है ,समेत ध्रुव की सभी कॉमिक्स और 2000 से भी अधिक कॉमिक्स हैं....SCD के जूनून की इन्तहा ये है की इसके बिना जीवन अधुरा लगता है ........................
बचपन में जो SCD पढ़ने का मजा आया था वो आज भी बरकार है.. आज भी मैं नए सेट की हर RC फैन की तरह प्रतीक्षा करता हूँ.....

आप सबकी तरह ही एक जुनूनी कॉमिक्स प्रेमी,
रवि यादव (myr)

1 comment:

  1. क्या बात है सर जी मजा आ गया ।

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