Sunday, 1 September 2019

देवेन पाण्डेय का प्रशंसक से लेखक बनने का सफर #ICUFC


"यह समूह कॉमिक्स से सम्बंधित है,किन्तु मैं यहां अपने द्वितीय उपन्यास से सम्बंधित पोस्ट कर रहा हूँ।
क्यो? क्योकि इस उपन्यास की नींव इसी ग्रुप में पड़ी थी, अब नए सदस्य जुड़ गए है जिन्हें शायद याद नही किन्तु पुराने सदस्यों को अब भी वह समय याद है जब यह ग्रुप विभिन्न पोस्ट और टिप्पणियों से आबाद रहा करता था।
उस समय क्रिएटिविटी अपने चरम पर होती थी। हर सदस्य अपने आप मे कोई न कोई अनूठी बात लिये होता था। अनेक प्रतियोगिताएं होती थी, अनेक फैन्स अपने चित्र, फैन फ़िक्शन इत्यादि यहां शेयर किया करते थे।
काफी पुराने पाठक इस समूह के जरिये दोबारा कॉमिक्स से जुड़े (जिनमे मैं भी शामिल हूँ।) यहां आकर पता चला यह समूह प्रतिभाशाली सदस्यों से भरा हुआ है। यहां से अनेक सदस्य फैन होने से लेकर क्रिएटिव जगत में अपनी अलग पहचान बनाने तक का सफर पूर्ण कर चुके है।  लगभग 6-7 वर्ष पहले जब यह समूह विभिन्न प्रकार की हलचलों से आबाद रहता था उसी समय बाली के कथानक ने जन्म लिया था। अन्य मित्रों को देखकर मुझे भी कुछ लिखने बनाने का मन होने लगा, मैंने भी एजेंट नाइन सीरीज की 3 कॉमिक्स स्वयं बनाई, कथा,चित्र,रंग सभी खुद किये। धुरंधर पाण्डेय नामक चरित्र भी बनाया। वह समय ही अलग स्तर का जोशीला वातावरण लिये हुए था, मुझे याद है #कॉमिक्स-ट्रेंड-फिर-बढ़ाये का अभियान जो हमने आरम्भ किया था😋। उसी समय कुछ बहुमुखी प्रतिभाओं के धनी मित्रों के साथ एक अलग और ओरिजनल फैन फ़िक्शन बनाने की बात चली, जिसमे हम सभी अपने अपने हुनर या कलाकारी को सबके सामने ला सके ।

यश ठाकुर, मोहित शर्मा, नालिनाक्ष ईशु, आशीष खरे,सुरेश जी,अजय थापा, हरेंद्र सैनी जैसे अनेक मित्रों के साथ बाली नामक चरित्र बनता बिगड़ता रहा☺️ यहां तक कि एक सम्पूर्ण 30 पृष्ठों की कॉमिक्स तक बन चुकी थी।
किन्तु होनी को कुछ और ही मंजूर था, विभिन्न कारणों एवं धीरे धीरे दुनियादारी की व्यस्तताओं के चलते सब अलग होने लगे और फैन फ़िक्शन का सपना सपना ही रह गया। समय ने सबका जोश ठंडा कर दिया, वो बचपना अब समझदारी की परतों तले कही छिप सा गया, जीवन की आपाधापी में प्राथमिकताएं बदलती चली गई। नतीजतन बाली अनेक बार बनते बनते बन्द हो गया। इसी समूह से और अपने फैन फ़िक्शन और लेखन से अनेक लोगो से पहचान हुई जिनमे से कुछ स्थापित लेखक और प्रकाशक तक हैं और मेरा पहला उपन्यास 'इश्क बकलोल'प्रकाशित हुआ, जो मेरी पहली ऑफिशयल साकार रचना थी। इश्क बकलोल को उम्मीद से अधिक पसन्द किया गया और पाठकों एवं समीक्षकों का खूब प्यार मिला। अब यहां आकर फिर से हिम्मत जुटने लगी, बाली जेहन में उछल कूद करने लगा और फिर मैंने प्रकाशक को कॉन्सेप्ट बताया, वे फौरन राजी हो गए और मैंने इस बार बिना किसी अन्य टीम के बाली पर कार्य आरम्भ कर दिया, मुश्किलें फिर आई (जिनके बारे में विस्तार से लेखकीय में लिखा है।) किंतु इस बार पक्का निर्णय कर चुका था। और अंततः बाली 420 पृष्ठों के रूप में सजीव हो चुका था। पौराणिक चरित्रों, कथाओं एवं किवदंतियों पर आधारित यह पात्र अब प्रकाशित हो चुका था। हालांकि मैं डर रहा था कि न जाने पाठक क्या प्रतिक्रिया देंगे, सुपरहिरोइक पात्र और कहानियां विदेश में जितनी प्रचलित है, अपने भारतीय परिवेश में वे उतनी सहज नही हैं। किन्तु इसके पश्चात भी पाठकों की अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली और मेरा उपन्यास प्री ऑर्डर में ही अस्सी प्रतिशत तक समाप्त हो गया। अमेजॉन पर आउट ऑफ स्टॉक होकर पुनः स्टॉक अपडेट किया गया। दूसरी रिलीज के महीने भर के भीतर दूसरी बार रीप्रिंट करवाया गया।

जिन्होंने पढ़ी उनकी प्रतिक्रिया भी शानदार रही और उन्हें यह कथानक बेहद पसंद आया। और इन सबमे इस समूह का भी बड़ा योगदान है। इस समूह एवं उसके सदस्यों ने सदैव से यहां अनेक सृजनशील एवं प्रतिभाशाली सदस्यों का उत्साहवर्धन किया है। तो बाली की उत्स्फूर्त सफलता के लिए एवं प्रतिसाद के लिये मैं इस समूह के प्रत्येक सदस्य का हृदय से आभारी हूँ। और हां कह सकते है, बाली उपन्यास मेरे कॉमिक्स प्रेम और इस समूह को ट्रिब्यूट है ।😋 (मैं यहां कोई खरीदी बिक्री एक लिंक नही दे रहा हूँ, क्योकि मेरा वह उद्देश्य था ही नही।)"