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Tuesday, 27 August 2024

Vikram Aditya: A Gripping New Thriller in Indian Comics

ComicsAdda's "Vikram Aditya" marks an exciting new entry in the Indian comics scene. Set against the backdrop of Ujjain, the story follows two investigative journalists, Vikram and Aditya, as they delve into a series of mysterious murders targeting innocent girls. The narrative is thrilling, filled with suspense, and keeps readers engaged until the very end. Congratulations to Nilesh Ji and Deepak Ji for this achievement.

The artwork by Ujjwal Bhargav is vibrant and detailed, effectively bringing Ujjain and its darker elements to life. The characters are well-developed, and the partnership between Vikram and Aditya adds depth to the story. Their relentless pursuit of truth, despite the dangers, makes it a compelling read.

A standout feature of this comic is its ability to blend traditional Indian elements with modern storytelling techniques. The plot moves at a well-balanced pace, with enough twists to keep readers hooked from start to finish. The dialogue is sharp and realistic, further enhancing the overall experience.

Monday, 26 August 2024

Jhoom Barabar Jhoom, Nasheeli (Gamraj) Short Review

 

Sanjay Singh - "कल गमराज की ये 2 कॉमिक्सों की सीरिज पढी। इनमे से नशीली तो मैंने 1997 मे ही पढ ली थी। दोनो कॉमिक्से लिखी है तरूण कुमार वाही जी ने और चित्रांकन है प्रदीप साठे जी का। झूम बराबर झूम कॉमिक मे बेगपाई-पाई नाम की शराब की कपंनी के खिलाफ गमराज और शंकालू अभियान चलाते है। बाद मे उन्हें पता चलता है कि कपंनी के मालिक का लडका खुद शराब का आदि है। वो उसकी शराब 1 सप्ताह मे छुडाने का संकल्प लेते है, इस वादे के साथ की बदले मे बेगपाई-पाई कपंनी बंद करनी पडेगी।

नशीली मे इस राज का पर्दा फाश होता है कि कैसे बिना किसी मशीन के बेगपाई-पाई शराब का कारोबार करता है। अंत मे यमराज की मदद से सारी मुश्किलें खत्म हो जाती है। दोनो कॉमिक्सों मे अच्छी कॉमेडी है।"

Friday, 10 May 2024

क्लोनवर कॉमिक पर टिप्पणी

कॉमिक प्रशंसक संजय सिंह - "2021 से मैं अपने पास रखी कॉमिक्सो को 1-1 सुपरहीरो करके पढ रहा हूं। इस साल की शुरूआत मे गमराज की कॉमिक्से पढना शुरू किया। लेकिन जो पहले कॉमिक मैंने पढी (हम आपके हैं वो) वो इतनी बेकार निकली कि उसके बाद से गमराज की कोई कॉमिक पढने की हिम्मत नही हुई।

रविवार को ये कॉमिक मिली तो इसे ही पढ डाला। इसके चित्रकार है प्रेम जी और लेखक है तरूण कुमार वाही जी। एक आदमी को क्लोनवर बनाने का तरीका मिल जाता है और वो अपना बदला लेने के लिए क्लोनवर का इस्तेमाल करता है। कॉमिक मे कुछ जगह अच्छी कॉमेडी है।"

Wednesday, 21 June 2023

Sunday, 9 January 2022

कारवाँ - प्रतिशोध (याली ड्रीम क्रिएशंस) समीक्षा - संदीप जुयाल

 काफी समय बाद याली ड्रीम्स के कारवाँ सीरीज की लास्ट कॉमिक कारवाँ प्रतिशोध आई जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था लेकिन इतने इंतजार के बाद भी जो मजा आना चाहिए था कहानी में वो नही आया मेरे ख्याल से सीरीज का आखिरी पार्ट होने के नाते इसकी कहानी और भी बढ़िया होनी चाहिए थी लेकिन अफसोस कि बात है कि जितना सोचा था उससे कम ही निकली कहानी के मामले में यह कॉमिक

कवर - अगर कवर की बात की जाए तो कवर बहुत ही आकर्षक बन पड़ा है  जिसमे कहानी के मेन किरदारों को जगह दी गयी है और अपना भैरोसिंह भी काफी खूंखार अंदाज में दिखाई दे रहा है मतलब फुल मेहनत की गई है कवर में जिसमे की  पूरी तरह से कामयाब रही है याली ड्रीम्स

कहानी - इस बार याली ने कहानी को तीन भागों में बांटा हुआ है जिसमे पहला भाग है "भोर" दूसरा भाग है "सांझ" तीसरा और अंतिम भाग है "रात"

बात अगर कहानी की करूँ तो इसकी शुरुआत होती है कारवाँ(1st) के अंत से जहाँ आसिफ, दुर्गा, भैरोसिंह और जय मिलकर रानी भैरवी और उसकी पूरी नौटंकी मंडली का खात्मा कर देती है कारवाँ प्रतिशोध की  कहानी यही से आगे बढ़ती है-

कहानी मेरी नजर में सिर्फ इतनी ही है कि मधुराक्षी अब अपनी माँ भैरवी को जीवित करना चाहती है और भैरवी कैसे जीवित होगी उसका हल भी मधुराक्षी  सोच लेती है और पड़ जाती है दुर्गा और आसिफ के पीछे अपना प्रतिशोध लेने के लिए  लेकिन वह दुर्गा और आसिफ के पीछे क्यों पड़ती है और माँ भैरवी को जीवित करने के लिए उसके पास क्या हल होता है बस इसी बात को जानने के लिए आपको यह कॉमिक पढ़नी होगी। 

कहानी में भैरोसिंह अपने पूरे दबंग अंदाज में  दिखाई देता है दुबारा उसे देखकर आपको जरूर मजा आएगा

आर्टवर्क - आर्टवर्क की बात की जाए तो तीन अध्याय है और तीनों में आर्टवर्क अलग अलग है जो कि कॉमिक पढ़ने के मजे को बेकार कर देता है हालांकि आर्टवर्क अपने अपने स्तर पर अच्छा है लेकिन एक ही आर्टिस्ट से सारा काम करवाया होता तो हम पाठकों को और भी ज्यादा मजा आता। 

अब पहले अध्याय में आसिफ काफी बड़ा दिखाई देता है और आखिरी अध्याय में आसिफ बच्चा दिखाई देता है साथ ही कुछ पेज जहां बहुत ही निम्न स्तर के बने है वही कुछ पेज बहुत ही शानदार बने है खासकर मधुराक्षी के बोल्ड सीन्स और लड़ाई के सीन्स 

अंत मे पूरी कॉमिक की बात की जाए तो मुझे यह कहानी एवरेज लगी अभी तक कारवाँ और कारवाँ- खूनी जंग दोनों बढ़िया थी कहानी के मामलों में करवा प्रतिशोध से उम्मीदे और भी  ज्यादा थी करीब 4,5 साल का इंतजार भी रहा इसका लेकिन इसकी कहानी मेरी उम्मीदों पर खरी नही उतरी लेकिन आर्टवर्क काफी अच्छा रहा है इसका पहली दो कॉमिक से तो यह अच्छी बात है।

याली से सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि कहानी को ज्यादा बड़ा न किया जाए साथ ही एक सीरीज को बीच मे इतने लंबे समय के लिए न छोड़ा जाए और अंतिम बात  एक सीरीज पर सिर्फ एक ही आर्टिस्ट से काम करवाया जाए  अलग आर्टिस्ट अलग आर्टवर्क कॉमिक के पूरे मजे को खराब कर देती है।

दोस्तो आप भी कमेंट में  बताईए आपको यह कॉमिक और पूरी सीरीज कैसी लगी

रेटिंग

कहानी- 5/10, आर्टवर्क- 7/10, पूरी कारवाँ सीरीज-  7/10

Sunday, 17 September 2017

कॉमिक्स यादें (श्री रवि यादव) #mycomicsstory


बात शायद 1994 की है, एक बच्चा स्कूल जाता और रास्ते में पड़ने वाली बुक शॉप पर टकटकी लगाकार एक धागे पर टंगी कॉमिक्स को देखता . कॉमिक्स के कवर पर पीली-नीली पोशाक पहने एक लड़का रेल के इंजन से बंधा हुआ था और उसके पास में एक रोबोट की शक्ल वाला व्यक्ति खड़ा था. पता नहीं उस तस्वीर में क्या जादू था कि उस बच्चे का यह नियम बन गया की रोज स्कूल जाते समय उस कॉमिक्स को टकटकी लगाकर ललचाई नजरो से देखना. बच्चा तब तक भोकाल और नागराज की कई कॉमिक्स पढ़ चुका था या यूँ कहिए उनके चित्रों का आनंद ले चुका था पर जब से उसने इस कॉमिक्स को देखा तो बाकी सब कुछ भूलकर उसने इसे पाने की ठानी. कॉमिक्स उसे अपनी बड़ी दीदी और भैया से मिलती थी और वे भोकाल की कॉमिक्स पढ़ना ज्यादा पसंद करते थे. दोनों से बड़े प्यार से गुजारिश की पर उन दोनों के मना करने पर बच्चे का दिल बहुत दुखी हुआ. अगले कई दिनों तक यही क्रम चला पर बच्चे के छोटे हाथों से अब भी वह कॉमिक्स बहुत दूर थी.
बच्चे ने एक तरकीब निकाली उस कॉमिक्स को और पास से देखने के लिए वह अब पचास पैसे की टाफी लेता और उस कॉमिक्स को निहारता. एक दिन दुकानदार अंकल ने पूछा बेटा तुम रोज इन रंग बिरंगे चित्रों वाली किताबों को देखते हो इनमे से तुम्हे क्या चाहिए? अंकल इन रंग बिरंगे चित्रों वाली किताब को कॉमिक्स कहते हैं बच्चे ने बड़ी मासूमियत से जबाव दिया .दुकानदार अंकल ने हंसकर पूछा और तुम्हे इनमे से कोनसी चाहिए? .बच्चे ने धडकते दिल से ऊँगली से इशारा किया वो. दूकानदार अंकल ने वो कॉमिक्स धागे पर से उतारकर उस बच्चे के हाथों मे थमा दी बस फिर क्या था मानो बच्चे को सारा जहाँ मिल गया. बार-बार कॉमिक्स उलट-पुलट कर देखते उस बच्चे को दुकानदार अंकल ने कहा कि बेटा तुम्हारे भैया भी मुझसे कॉमिक्स ले जाते हैं और उन्होंने कॉमिक्स एक रुपया किराये पर देने की बात कही पर बच्चे ने कॉमिक्स वापस अंकल को दी और कहा की अंकल जी आप किसी को ये देना मत मैं जल्दी ही इसे खरीद लूँगा. घर में बार-बार जिद करने पर भी जब 15 रूपये जमा नहीं हुए तो बच्चे का मन बहुत उदास हो गया बरहाल एक रूपये में वो कॉमिक्स किराये पर ली गई, स्कूल बैग में रखकर जब आधी छुटटी में उसे आधा –अधुरा पढ़ा तो नीली-पीली ड्रेस वाला वो हीरो जिसका की नाम सुपर कमांडो ध्रुव था बच्चे के दिल और दिमाग पर छा गया ये जूनून से उस बच्चे का पहला परिचय था.घर आकर जब बच्चे ने कॉमिक्स को पूरा पढ़ा तो बच्चे के दिल ने कहा कहा कि जब पुरे 15 रूपये हो जाएंगे तो सबसे पहले ये कॉमिक्स ही लूँगा अगले कुछ दिनों तक बच्चा “रोबो मैग्नाटो! मुझे अपनी शक्ति दो” चिल्लाता घूमा (हालाँकि कॉमिक्स में ये डाइलाग कही पर भी नहीं था)....

बच्चे का ये जूनून रंग लाया 19 साल बाद जब RC के नागराज जन्मोत्सव कार्यक्रम में स्टेज पर एंकर श्री क्षितिज शर्मा ने SCD से रिलेटेड क्विज कांटेस्ट मे प्रश्न पूछे तो बच्चे (जो की अब 29 साल का हो चुका था ) ने कुछ प्रश्नों के उत्तर पूरा प्रश्न सुने बिना ही दे दिए. मंच के ठीक सामने विरजमान भारतीय कॉमिक्स जगत के सभी महानुभावो और सभी कॉमिक्स प्रेमियों ने तालियों की करतल ध्वनि की लेकिन बच्चे को शायद ध्रुव की बाइक की तरह एक स्पेशल आवाज़ की गूंज का वर्षो से इंतज़ार था वो थी ..”क्या बात है” 
आवाज को सुनकर बच्चे को लगा की आज फिर उसके हाथ में उस नीली-पीली ड्रेस वाले, उसके अपने सपनो के हीरो की कॉमिक है जिसे वो पहली बार छू रहा है .ये आवाज थी उस शख्सियत की जिसने ध्रुव को रचा है “श्री अनुपम सिन्हा जी”.

वो बच्चा (यानी की मैं) आज 31 साल का हो गया है और उसके पास ये कॉमिक्स जिसका की नाम “चुम्बा का चक्रव्यूह” है ,समेत ध्रुव की सभी कॉमिक्स और 2000 से भी अधिक कॉमिक्स हैं....SCD के जूनून की इन्तहा ये है की इसके बिना जीवन अधुरा लगता है ........................
बचपन में जो SCD पढ़ने का मजा आया था वो आज भी बरकार है.. आज भी मैं नए सेट की हर RC फैन की तरह प्रतीक्षा करता हूँ.....

आप सबकी तरह ही एक जुनूनी कॉमिक्स प्रेमी,
रवि यादव (myr)