Sunday, 6 January 2013

Poetry Comic/Kavya Comic मंद है यह समाज! (Ad)

मंद है यह समाज! Kavya Comic (Advertisement) with a shayari, experimental manual coloring here. *Art - Soumendra.
कहते है वो की मै दुनिया की दौड़ के काबिल नहीं .. .
कुछ माखौल उड़ाते है तो कुछ को तरस आता है ..
कैसी यह दौड़ है जिसमे पैसो के लिये भावनाओं को कुचला जाता है?
नहीं दौड़ना तुम्हारे साथ ...मै तुमसा क़ातिल नहीं।

तेज़ तन पर गुमान करने वालो ..एक सौदा करलें आओ,
मेरा साफ़ मन भी ले लो ...बदले मे मुझे एक खूबसूरत जहान देते जाओ। 

- Mohit Sharma



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