Saturday, 30 March 2013

Comic Con India Criticism


****माफ़ कीजिये यहाँ एक जनरल बात कर रहा हूँ एक कॉमिक इवेंट का उदाहरण देकर। तो कॉमिक की बात करनी पड़ गयी।****

मैं दिल्ली कॉमिक कॉन 2013 के आखरी दिन वहाँ पहुँचा तो कुछ बातें खटकी। वो मज़ा नहीं आया .... वो कॉमिक फीवर कहीं गुम था। कॉमिक कॉन इंडिया का मतलब सब नहीं तो ज़्यादातर इंडियन कॉमिक प्रकाशन रीप्रेजेंट होने (या कम से कम) फीचर होने चाहिए थे। इंडियन कॉमिक्स प्रमोट करने से ज्यादा मुझे एक कॉमर्शियल अप्रोच लगा जैसे कोई आउटसाइडर प्रायोजित कर रहा हो ....कोई इवेंट मैनेजमेंट कंपनी (हालाँकि पॉप कल्चर पब्लिशिंग इनकी ब्रांच है)।

यह बात उनके अवार्ड्स मे भी झलकती है .....एंट्रिज मे बहुत सी बड़ी इंडियन कॉमिक पब्लिकेशंस का नाम ही नहीं तो ये सही मानक कहाँ हुए? कुछ समय पुराने आर्टिस्ट को अवार्ड मिले और इंडसट्री मे 3-4 दशको से एक्टिव क्रिएटिवस नोमिनेशन्स मे तक न हो, अजीब है। जिन कंपनीज की इवेंट मे स्टाल्स है बस उन्ही तक अवार्ड सीमित होना ....ये भी अजीब लगा मुझे। भारत के कॉमिक कॉन मे भारतीयता की कमी लगी मुझे। मुझे पाश्चात्य सभ्यता से कोई दिक्कत नहीं है मै उनका भी आदर करता हूँ बल्कि कॉमिक कॉन का कांसेप्ट उन्ही की देन है पर भारत कॉमिक कॉन का मतलब है की बाहर के देशो का स्टाइल और भारतीय स्टाइल दोनों की झलक मिले यहाँ बाहरी स्टाइल काफी हद तक हावी रहा। भारतीय कॉमिक कॉन मैनेजमेंट को अपना दायरा इंग्लिश से आगे स्थानीय भाषाओ तक बढ़ाना होगा तभी सही मायनों मे ये भारतीय कॉमिक कॉन कहलाया जायेगा (मेरी नज़रों मे)। मै उनको धन्यवाद देता हूँ पर कोमेर्शियल होने की जगह अगर वो कॉमिक कल्चर को प्रोमोट करें तो लोंगर रन मे उनका ही फायदा होगा।

- Mohit Trendster

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