अपने प्रिय किरदारों को अपनी गढ़ी परिकल्पनाओं में उलझाना हर प्रशंसक को भाता है। वैसा होता तो क्या होता, इस हीरो या विलन अगर फलाने हीरो के विरुद्ध आता तो क्या-क्या दृश्य बनते, किरदार की सभी बातों को बारीकी से समझ कहानी लिखने से लेकर स्थापित आयामो का मुरब्बा तक डाल देते है फैन्स। जहाँ विचार सब करते हैं पर गिने-चुने प्रशंसक ही कलम-कीबोर्ड उठाकर कुछ लिखते हैं। मैंने भारतीय कॉमिक्स खासकर हिंदी कॉमिक्स पर काफी फैन फिक्शन (प्रशंसक-साहित्य) पढ़ा और लिखा है। अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि कई लोगो की प्रतिभा को अगर सही मार्गदर्शन, मौके मिलें तो वे बहुत अच्छे लेखक बन सकते हैं। कुछ लोग तो कहानी के साथ कला जोड़ कर बेहतरीन कॉमिक्स, कॉमिक स्ट्रिप्स बना डालते हैं। बाहर देशों में अनेकों फैन फिक्शन प्रकाशित हो चुके हैं, उनपर कॉमिक्स-फ़िल्में तक बन चुकी हैं। हालांकि, भारत में ऐसा होने में अभी बहुत समय है।
इस क्षेत्र में जितना जाना उस आधार पर फैन फिक्शन लेखकों, कलाकारों के लिए कुछ सुझाव हैं -
1. केवल एक माध्यम तक सीमित न रहें और कम रेस्पॉन्स मिलने पर (जो शुरुआत में अक्सर होता है) निराश न हों। निरंतर सीखने और अपनी प्रतिभा को निखारने की कोशिश करते रहें। सफल कलाकारों के काम का अवलोकन कर जाने कि उन्होंने ऐसा क्या किया जो वो इस क्षेत्र में सफल हो पाए। ऑनलाइन कॉमिक कम्युनिटी अभी भी काफी छोटी है इसलिए अपने लेख, कहानी, काव्य सिर्फ किरदारों के आस-पास न बुनकर समय-समय अन्य विषयों को चुने ताकि आपकी पहुँच ऑनलाइन हिंदी, इंग्लिश पाठकों तक हो जाए। इस तरह आप पत्र, पत्रिकाओं और संकलन में प्रकाशित हो सकते हैं।
2. सहमति के साथ आप अन्य कलाकारों, लेखकों के साथ कॉलेबोरेट कर सकते हैं। अगर अपने काम से आप सक्षम हैं तो ऐसे कलाकारों को कुछ धनराशि भी ऑफर कर सकते हैं। ऐसा करने से आप अपना दायर बढ़ाने के साथ-साथ विभिन्न शैलियों को मिलाने का काम कर रहे हैं। मिलकर किये गए ऐसे रचनात्मक काम आपको अच्छा अनुभव देते हैं।
3. यह टेस्ट करना ज़रूरी है कि कहीं आप किसी एक या कुछ शैलियों जैसे एक्शन, कॉमेडी, एडवेंचर के गुलाम तो नहीं बन गए हैं और चाहकर भी किसी और प्रकार की कहानी नहीं लिख पा रहें हैं। अगर ऐसा है तो किसी अपरिचित शैली को नए सिरे से उठाने के बजाये उसके एलिमेंट्स ऐसी कहानियों में लाना शुरू करें जिनको लिखने की आपको आदत है। कुछ समय बाद उन शैलियों पर अलग से लिखना शुरू करें।
4. ब्लॉग, फेसबुक, ट्विटर, पिनट्रेस्ट, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम का भरपूर प्रयोग करें और अधिक से अधिक आप जैसी बातें फॉलो करने वाले लोगों से जुड़ें। अपनी कहानियां, कलाकृतियां और रचनाएँ केवल 1 या 2 जगह पोस्ट ना करके उनकी वर्ड फाइल, पीडीएफ, ऑडियो स्टोरी, स्लाइडशो आदि बनाकर स्क्राइब्ड, यूट्यूब, ईशु, रीडवेयर, स्मैशवर्डस, टच टैलेंट, बिहेंस, साउंड क्लाउड जैसी वेबसाइटस पर अपलोड करें।
5. अन्य लेखकों और कलाकारों को अपना फीडबैक देते रहना चाहिए। इस से आपका सर्किल मज़बूत होता है और आपको अंदाज़ा लगता है कि कौनसी संभावनाएं या दृश्य कहानी के रूप में कैसे लगते हैं। वैसे छोटी कम्युनिटी में संपर्क, प्रोत्साहन बनाये रखने के लिए इतना करना ज़रूरी है।
6. हर लेखक को इज़्ज़त देना शुरू करें, जब तक वह प्रकाशित नहीं हो जाता या लंबे समय तक लिखता नहीं रहता जैसी कंडीशन न लगाएं। कोई टैलेंटेड हैं, बिना कॉपी किये मेहनत कर रहा है तो उसका सम्मान होना चाहिए। अक्सर कई लोगो को कहते देखता हूँ कि "फैन फिक्शन कुछ नहीं है", दुख होता है क्योकि एक समय मुझे याद है इस कुछ नहीं के चक्कर में मैंने कितना समय, पैसे और प्रयास लगाए थे और मेरे जैसे कई लोग थे/हैं। खैर, जब अपनी कम्युनिटी लेखकों को उचित सम्मान देना शुरू करेगी तभी बाकी लोग कुछ समझेंगे।
लेख का अंत इस बात से करूँगा कि अगर कोई आईडिया आपने कभी फैन फिक्शन में इस्तेमाल किया हो तो उसे भूलकर छोड़ ना दें, हो सकता है आगे कभी वो कांसेप्ट कहीं और बेहतर जगह प्रयोग में लाया जा सके।
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