Saturday, 23 September 2017

Comic Memories (Ashu Khairwal‎)

‎Ashu Khairwal‎
#MY_COMICS_STORY
यह बात शुरू होती है जब आज की तरह जब आज की तरह दुनिया की रफतार तेज नहीं हुआ करती थी.90 का दशक रहा होगा जब मैने कोमिक पढ़ना शुरू ही किया था. वो भी मेरे पिताजी की वजह से जब वो चन्दामामा और इन्द्रजाल की कोमिक लाया करते थे. इन्द्रजाल तो आज भी उनकी पसंदीदा कोमिक है . मैने भी कोमिक इन्द्रजाल के पात्र फैंटम से पढ़ना शुरू किया था. तब मेरी कोमिक पढ़ने की शुरूआत हो चुकी थी. फिर कोमिक की दुकान से किराये पर कोमिक लाने की शुरूअात हो चुकी थी.1 रूपये में पूरे 1 दिन के लिये कोमिक लाना शुरू किया जो की दादी से मिल जाया करते थे. लेकिन कोमिक किराये पर लाना आसां नहीं हुआ करता था. क्यूंकी माँ ने कोमिक देख लिया तो बहुत डांट पड़ती थी.ईसलिये कोमिक को कमीज के अंदर छुपा कर लाना पढता था. सुपर कमांडो ध्रुव बचपन से मेरा पसंदीदा रहा है. उसकी सादगी और कभी ना हार मानने वाला ज़ज्बा मुझे बेहद पसंद है. गर्मियो की छूट्टीयो में मैं हर रोज 1 कोमिक पढा करता था. ज़िसमे मेरी पसंदीदा थी प्रतिशोध की ज्वाला, ड्रेकुला दिल्ली में , मुझे मौत चाहिये, चाचा चौधरी और उड़ने वाली कार और नागराज. वो एक सुनहरा दौर था. लेकिन धीरे धीरे वक्त अपनी रफतार पकड़ता गया और 2000 सन तक कोमिक काफी पीछे छूट गयी. फिर फेसबुक पे अपने जैसे कोमिक प्रेमियो से मुलाकात हूयी और उनसे दोस्ती होती चली गयी. और कोमिक पढ़ने और उन्हे संग्रह करने का चस्का फिर से लग गया. अब जैसे जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ये शौक भी गेहरा होता जा रहा है. और कोमिक संग्रह में भी व्रद्धी हो रही है . मेरी छोटी सी मित्र मंडली में काफी दोस्त है !! धन्यवाद मित्रों !!

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