Friday, 18 December 2020

नीरद जी का अनुभव

 

"एक स्थानीय कार्टूनिस्ट हैं। कार्टूनिंग में खूब जोर है उनका...मोटा हाथ, पतला पैर.. जो मन में आया, बना दिया! कार्टून में कोई रोक-टोक तो है नहीं!

एक बार एक संस्था ने उन्हें एक पुस्तक के आवरण के चित्रांकन का काम दिया। पुस्तक का नाम था 'बाल एवं मातृत्व स्वास्थ्य'.

फिर क्या था, बना दिया उन्होंने! चित्र में मां अपने नवजात बच्चे को गोद में ली हुई थी। सब ठीक था। कोई दिक्कत नहीं...

मगर चित्र से विषय ही बदल गया। बच्चे के पोलियो स्वास्थ्य का विषय बन गया!

दरअसल उन्होंने बच्चे का पैर बहुत पतला कर दिया था!🤣

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संजीदा विषयों के लिए रियलिस्टिक चित्रांकन ही प्रभावी होता है।"

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