Monday, 10 September 2012

इंद्रजाल (पात्र-परिचय)-वेताल

इंद्रजाल (पात्र-परिचय)-वेताल

इंद्रजाल कॉमिक्स पात्र परिचय - वेताल (परम्परा का प्रारम्भ)


३ अगस्त, सन १४९२. स्पेन के एक छोटे से बंदरगाह पलोस् डे ला फ्रोंतेरा से क्रिस्टोफर कोलंबस का जहाजी बेडा नयी दुनिया (अमेरिका) की खोज में रवाना हुआ. तीन पोतों के इस बेडे़ में सबसे बड़ा जहाज था सांता मरिया. इस फ्लेगशिप पर मौजूद ४० नाविकों के दल में क्रिस्टोफर वॉकर नामक एक नौजवान केबिन बॉय भी शामिल था. (पूर्व में नाम बताया गया था क्रिस्टोफर स्टेनडिश). अपनी मेहनत और लगन से जल्द ही क्रिस्टोफर सभी कामों में दक्ष होता चला गया और निरंतर तरक्की करता गया.
१७ फरवरी, सन १५३६. एक व्यापारिक जहाज अपनी यात्रा के दौरान बंगाला की खाड़ी के पास से होकर गुजर रहा था. इस जहाज का कप्तान था क्रिस्टोफर वॉकर नामक वही नौजवान जो कभी कोलंबस के बेडे पर अपने जौहर दिखा चुका था और अब एक अनुभवी कप्तान के रूप में रिटायरमेंट से पहले अपनी अन्तिम यात्रा पर था. साथ में उसका बीस वर्षीय बेटा भी था. केबिन बॉय की जिम्मेदारी निभाने वाले इस कप्तान के इस बेटे का नाम भी क्रिस्टोफर वाकर (जूनियर) ही था.

खाडी के समीप समुद्री लुटेरों के एक गिरोह ने जहाज पर हमला कर दिया. नाविक बहादुरी से लड़े पर उनके लिए इस खतरनाक जलदस्यु गिरोह से निपट पाना असंभव था. अंत में एक विस्फोट में दोनों जहाज नष्ट हो गए. सर पर लगी किसी चोट की वजह से स्मृति लोप होने से पहले क्रिस्टोफर वाकर (जूनियर) ने जो अन्तिम दृश्य देखा, वह अपने पिता का लुटेरों के सरदार के हाथों मारा जाना था.


समुद्री लहरों के थपेड़ों ने क्रिस्टोफर को किनारे पर ला पटका. अफ्रीका के जंगलों में (दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में भी) पिग्मी लोगों की कुछ प्रजातियाँ पायी जाती हैं. ये लोग कद में काफी बौने होते हैं. इनमें से एक बांडार नामक जाति बंगाला की खाडी के पास घने जंगल में रहती थी. इन बौने बांदारों को वसाका नामक ऊंचे कद के लोगों ने गुलाम बनाया हुआ था और वे उनके साथ बड़ी बदसलूकी किया करते थे. इस अत्याचार की मार सहते बांदारों के मन में आशा की एकमात्र किरण थी कि उनकी धार्मिक पुस्तक में एक ऐसे मसीहा का जिक्र था जो समुद्र के रास्ते उन तक पहुच कर उन्हें गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाएगा. ऊंचे कद के नौजवान क्रिस्टोफर वाकर को समुद्र किनारे पड़ा देखकर वे उत्साह से भर गए और उसे वही मसीहा मान कर उसकी सेवा में जुट गए.



बौने बांदारों की अच्छी देखभाल से क्रिस्टोफर जल्दी ही पूर्ण स्वस्थ हो गया. एक दिन समुद्र के किनारे उसे एक जलदस्यु की लाश पडी दिखी जो उसके पिता के कपड़े पहने हुए था. यही उसके पिता का हत्यारा था. इस समुद्री डकैत की खोपड़ी को हाथ में लेकर क्रिस्टोफर वाकर ने शपथ ली कि वह अपनी पूरी जिन्दगी भय और अन्याय, अत्याचार और दमन के खिलाफ लगायेगा. उसकी आने वाली पीढियां भी इस परम्परा को जारी रखेंगी.

 

वाकर ने वसाका लोगों से बांदारों को मुक्त कराने का प्रयास किया. पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, पर बांदारों से उसे एक अत्यन्त विषैलेजंगली फल की जानकारी मिली. उसने सभी बौनों को एकत्रित किया और उनके तीरों को इस विष में डुबोकर प्राणघातक बना दिया. इन जहर बुझे तीरों के रूप में नए हथियारों को
पाकर बांदार बौनों ने वसाका आतताइयों को खदेड़ दिया.
घने जंगल के बीचों-बीच वाकर ने एक और भी ज्यादा बीहड़ प्रदेश की खोज की. इस दुर्गम जगह पर आने से बाकी जंगल वाले तक डरते थे. यहाँ एक प्रकृति निर्मित विशाल खोपड़ीनुमा गुफा थीजिसे वाकर ने दुरुस्त करके अपने रहने लायक बना लिया.
 
तो इस तरह प्रारम्भ हुआ अन्याय के खिलाफ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाला एक सतत संघर्ष. हमारा आज का वेताल इस परम्परा में २१वीं पीढ़ी का है.

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रहस्यमय वेताल प्रदेश की जातियाँ और कबीले


डेंकाली के हजार मील तक फ़ैले विशाल जंगल में अनेक इन्सानी जातियाँ निवास करती हैं. प्रथम वेताल की प्राण-रक्षा करनेवाले और फ़िर उसकी मदद से वसाका हमलावरों को खदेड़ने में सफ़ल होने वाले बांडार बौनों के अलावा और कोई इस बात से परिचित नहीं है कि वेताल भी असल में एक आम इन्सान है और वह एक पारिवारिक परम्परा के तहत दुनिया भर में बुराई के खिलाफ़ संघर्ष करता है. बाकी जातियों का केवल यही विश्वास है कि वेताल अमर है.

जंगल में प्रथम वेताल के आगमन से पूर्व यहाँ के सभी कबीले आपस में निरन्तर संघर्ष करते रहते थे. वेताल के कई पूर्वजों के लगातार प्रयासों का नतीजा है कि अब यहां शांति स्थापित है. हालांकि जंगल के अधिकांश कबीले वेताल के साथ मित्रवत आचरण करते हैं लेकिन कुछ कबीले अभी भी अपने सदियों पुराने स्वरूप को बनाये हुए हैं और जंगल के नियमों पर चलने में ही विश्वास करते हैं.

वेताल प्रदेश में निवास करने वाली कुछ प्रमुख जातियाँ हैं:



१. बांडार बौने - बौने बांडार घने जंगल के बीचों-बीच बीहड़बन (Deep Woods) में निवास करते हैं और वेताल के सबसे घनिष्ठ सहयोगी हैं. वेताल के रहस्य को जानने वाले ये अकेले हैं और बीहड़बन की रक्षा करना इनकी जिम्मेदारी है. ये लोग अपने जहर बुझे तीरों के कारण अन्य सभी जातियों के लिये भी भय का कारण हैं. इनके होते कोई बाहरी व्यक्ति बीहड़बन तक पहुचने की सोच भी नहीं सकता. इनका मुखिया गुर्रन है जो वर्तमान वेताल का बचपन का मित्र है.



२. वाम्बेसी - जंगल की दो सबसे बड़ी जातियों में से एक. ये लोग मुख्यतः खेती-किसानी पर निर्भर करते हैं और वेताल को अपना मित्र मानते हैं. वाम्बेसी जंगल की सबसे धनी जाति है.



३. लोंगो - जंगल की दूसरी बड़ी जाति. वाम्बेसियों से इनकी नहीं बनती पर 'वेताल शांति संधि' के अनुसार ही चलते हैं. इनके जीवन-यापन का मुख्य स्त्रोत पशु-पालन है. पूरे जंगल में लोगों जाति सर्वाधिक भाग्यशाली मानी जाती है.



४. मोरी - मोरी मछुआरों की बस्ती समुद्र तट पर बसी हुई है. ये समुद्र से मछलीयाँ पकड़ते हैं. वेताल के मित्र द्वीप पर पलने वाले शेरों और बाघों के लिये मछलियां पहुंचाने की जिम्मेदारी इनकी ही है.



५. ऊँगान - फ़ुसफ़ुसाते कुंज (Whispering Grove) के पास के जंगल में निवास करने वाले ये लोग उंचे दर्जे के कलाकार हैं. ऊँगान लोग लकड़ी से कमाल की कलाकृतियाँ गढ़ने में माहिर हैं. खेलों में भी ये लोग आगे रहते हैं. जंगल ओलम्पिक का चैम्पियन अक्सर इसी कबीले से होता है.

वहीं कुछ हिंसक और लड़ाकू जातियाँ भी हैं जो गाहे-बगाहे अन्य जातियों के लिये परेशानी का सबब बनती रही हैं. ये हैं:

१. तिरांगी - सबसे खतरनाक जातियों में पहला नाम आता है तिरांगी का. पहाड़ी ढलानों पर रहने वाले ये लोग वेताल शांति में विश्वास नहीं करते थे. खून-ख़राबा और हिंसा ही इनकी पहचान होती थी. सिरों के शिकारी के तौर पर कुख्यात तिरांगी नरभक्षी भी थे लेकिन वेताल ने ये सब बंद कराया. (इनसे मिलेंगे अंक १८८ 'तिरांगी के नरभक्षक' में)

२. मसाऊ - घने जंगल के बीचों-बीच निवास करने वाले मसाऊ लोग बेहद खतरनाक और कुटिल हैं. ये अक्सर अन्य जातियों को मूर्ख बनाकर उनसे सामान आदि लूटते रहते हैं. बिना किसी हिचकिचाहट के किसी की भी जान ले लेना इनके लिये बेहद आसान काम है. बाकी जंगलवाले इनसे घबराते हैं और दूरी बनाये रखते हैं. (इनसे मिलेंगे अंक ००७ 'नरभक्षी वृक्ष' में)
इनके अलावा और भी कुछ जातियाँ हैं जिनका जिक्र आता रहता है.

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